राष्ट्रीय

‘झूठे आरोपों से खत्म होती हैं जिंदगियां’, सजा के प्रविधान में संशोधन की जरूरत- हाई कोर्ट

कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को झूठे आरोप लगाने के लिए नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेस (एनडीपीएस) एक्ट समेत विभिन्न कानूनों में निर्धारित असमान दंड को लेकर चिंता व्यक्त की। साथ ही कहा कि संसद को झूठे आरोपों के लिए दंड के प्रविधानों में खामियों को दूर करना चाहिए।

जस्टिस पीवी कुन्नीकृष्णन की पीठ ने यह टिप्पणी एवं सुझाव नारायण दास नामक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए।

झूठे आरोप से जिदंगी बर्बाद हो सकती
नारायण दास ने अपनी बहू शीला सनी पर ड्रग्स रखने का झूठा आरोप लगाया था जिसकी वजह से उसे 72 दिन जेल में रहना पड़ा। हाई कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस मामले में उसके आदेश को आगे की कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार को भेजे। साथ ही कहा कि झूठे आरोपों से जिंदगी बर्बाद हो सकती है, लिहाजा झूठे आरोप लगाने वाले को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

झूठे आरोप लगाने वाले को सिर्फ दो साल की सजा
पीठ ने कहा कि झूठे आरोप में फंसाए गए व्यक्ति को लंबा कारावास भुगतना पड़ सकता है और उस पर भारी जुर्माना हो सकता है, लेकिन झूठा आरोप लगाने वाले व्यक्ति को सिर्फ दो वर्ष का ही कारावास हो सकता है।
 

?s=32&d=mystery&r=g&forcedefault=1
News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button