47 सालों से इंदौर की प्यास बुझाने के लिए मां नर्मदा हर दिन 70 किलोमीटर का सफर तय करती हैं
इंदौर: प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी तीन हजार किलोमीटर की लंबाई तक बहती है और हरियाली के साथ आसपास के क्षेत्रों में खुशहाली और विकास फैलाती है। नर्मदा नदी इंदौर, जबलपुर समेत कई शहरों और गांवों की प्यास बुझा रही है। नर्मदा मप्र में 1077 किलोमीटर, महाराष्ट्र में 32 किलोमीटर, महाराष्ट्र-गुजरात में 42 किलोमीटर और गुजरात में 161 किलोमीटर तक बहती है और कुल 1312 किलोमीटर बहने के बाद अंत में गुजरात के भड़ौच के पास खंभात की खाड़ी में अरब सागर में विलीन हो जाती है। इस नदी पर गांधी सागर, ओंकारेश्वर बांध, सरदार सरोवर जैसे बड़े बांध बने हैं।
नर्मदा नदी 47 साल से प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर की प्यास बुझा रही है। 1978 में नर्मदा के पहले चरण ने इंदौर में कदम रखा था मां नर्मदा हर दिन तटबंधों को पार करते हुए 70 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। 540 एमएलडी पानी हर दिन इंदौर की 40 लाख आबादी की प्यास बुझाता है।
नर्मदा लाने के लिए इंदौर में आंदोलन
60 के दशक में इंदौर में सूखा पड़ा था। यशवंत सागर और बिलावली जैसे जलस्रोत सूख गए थे। इंदौर शहर का विस्तार हो रहा था, लेकिन शहर के पास कोई बड़ा जल संसाधन नहीं था। तब शहर के लोगों ने नर्मदा को इंदौर लाने की मांग उठाई। सरकार के लिए इस महंगी योजना को लागू करना आसान नहीं था। तब इंदौर में दो महीने से ज्यादा लंबा आंदोलन चला। सभी दल एकजुट हुए। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और नर्मदा को इंदौर लाने की घोषणा की गई। आंदोलन से जुड़े अभ्यास मंडल के शिवाजी मोहिते कहते हैं कि अगर नर्मदा का पानी इंदौर नहीं आता तो इंदौर का आज जैसा विकास नहीं होता। लोग पलायन करने लगते, बड़े उद्योग नहीं आते। पीथमपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में नर्मदा का पानी पहुंचाया जा रहा है।
सिंहस्थ में नर्मदा-शिप्रा के जल में डुबकी लगाते लोग 12 साल में एक बार होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में श्रद्धालु शिप्रा नदी में डुबकी लगाने आते हैं। शिप्रा नदी प्रदूषित हो चुकी है। दस साल पहले नर्मदा नदी का पानी शिप्रा में मिला दिया गया था। शिप्रा नदी के उद्गम स्थल उज्जैनी में बड़वाह से 60 किलोमीटर लंबी लाइन बनाकर नर्मदा का पानी छोड़ा गया। इससे शिप्रा नदी उद्गम स्थल से पुनर्जीवित हो गई। पिछले सिंहस्थ में लाखों श्रद्धालुओं ने नर्मदा जल में डुबकी लगाई थी। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और महेश्वर धार्मिक नगरी भी नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। गंभीर नदी को भी नर्मदा नदी से जोड़ा गया है। मां नर्मदा इंदौर के अलावा उज्जैन और देवास शहर की प्यास बुझाती हैं।