केंद्र सरकार बेटियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध : केंद्रीय मंत्री श्रीमती ईरानी
“वत्सल भारत” कार्यक्रम संगोष्ठी में म.प्र., छग और राजस्थान के 1500 से अधिक प्रतिनिधि हुए शामिल
केंद्रीय महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि बच्चों को गोद लेने के कानून में बदलाव से पहले देशभर की विभिन्न अदालतों में गोद लेने के 900 मामले लंबित थे। सरकार द्वारा कानून में बदलाव के बाद जिला प्रशासन को जिम्मेदारी दी गई और तब से एक वर्ष में देश भर में 2250 से अधिक गोद लेने की प्रक्रिया सफलता से की गई है। लगभग 13-14 वर्ष पहले देशभर में लगभग 8 से 9 हजार बच्चों को सुरक्षित किया जाता था, आज, भारत सरकार द्वारा देशभर में लगभग 65 हज़ार बच्चों का गैर-संस्थागत देखभाल के अंतर्गत संरक्षण किया जा रहा है। केंद्रीय महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती ईरानी रवींद्र भवन में तीन राज्यों के ‘वत्सल भारत कार्यक्रम’ को संबोधित कर रही थी।
श्रीमती ईरानी कहा कि हमने देश भर में ऐसी बेटियों (पीड़ितों) के लिए 74 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है। इससे उन्हें प्रति माह 4 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। उनके कौशल विकास के लिए आगे की व्यवस्था की जाएगी और 18 साल की उम्र के बाद ही नहीं, बल्कि 23 साल की उम्र तक हम ऐसी बेटियों की रक्षा करते रहेंगे।
केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि इस आयोजन से मिशन वात्सल्य के तहत सफल हस्तक्षेपों का प्रचार-प्रसार किया गया। उन्होंने इस दौरान चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआई) से 14 लाख 50 हजार बच्चों की घर वापसी के लिए किए गए प्रयासों के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य बाल आयोगों और बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में केंद्रीय महिला-बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई ने “मिशन वात्सल्य” के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ”इसका उद्देश्य बाल कल्याण और संरक्षण के उद्देश्य के लिए कुशल और प्रभावी परिणाम के लिए अंतर-मंत्रालय और अंतर-मंत्रालय स्तर पर अभिसरण रणनीति (कन्वर्जेंस स्ट्रैटजी) को आगे बढ़ाना है।” उन्होंने कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे लापता, अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों से संबंधित विभिन्न एमआईएस के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से परामर्श कर बनाए गए डिजिटल प्लेटफॉर्मों की जानकारी दी। इन प्लेटफार्मस का उपयोग एससीपीएस, डीसीपीयू, सीडब्ल्यूसी, जेजेबी, सीसीआई, एसजेपीयू के साथ-साथ नागरिकों द्वारा सभी एमआईएस उद्देश्यों के लिए संबंधित डैशबोर्ड से किया जा सकता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो ने कहा की आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जाएगा। आज ग्रामीण स्तर पर प्रथम उत्तरदाताओं से लेकर भारत सरकार के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री भी देश के बच्चों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए एक ही छत के नीचे उपस्थित हैं।
अपर सचिव, महिला-बाल विकास मंत्रालय श्री संजीव कुमार चढ्ढा विभिन्न राज्यों में चाइल्ड हेल्पलाइन की सफलता को बताया। श्री चढ्ढा ने देश के प्रत्येक बच्चे की बेहतरी के लिए “कोई बच्चा न छूटे” के सिद्धांत के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।
उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमओडब्ल्यूसीडी), भारत सरकार ने आज भोपाल में बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर एक दिवसीय क्षेत्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था। संगोष्ठी में तीन राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने हिस्सा लिया। संगोष्ठी में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी), किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी), ग्राम बाल संरक्षण समिति (वीसीपीसी) के सदस्यों और आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं समेत 1500 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए।