मध्यप्रदेश

MP में नर्सिंग एडमिशन संकट: फर्जीवाड़े के कारण 4 हजार सीटें भी न भर सकीं

भोपाल
प्रदेश के सरकारी और निजी नर्सिंग कॉलेजों में हुए फर्जीवाड़े का असर अब प्रवेश में देखने को मिल रहा है। कालेजों में डिग्री और डिप्लोमा मिलाकर 33 हजार सीटों में से चार हजार सीटों पर भी प्रवेश नहीं हुए हैं, जबकि अंतिम चरण की काउंसलिंग पूरी हो गई है। सीटें रिक्त रहने के कारण इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) ने प्रवेश की अंतिम तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी है। कुछ और नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता इस बीच मिल सकती है, पर पहले से ही लगभग 90 प्रतिशत सीटें रिक्त हैं। नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि पिछले वर्ष से भी कम प्रवेश हुए हैं। एक समय था, जब प्रतिवर्ष 40 से 45 हजार सीटों पर प्रवेश हो रहे थे। प्रदेश में आधे से अधिक नर्सिंग कॉलेज बिना मापदंड चल रहे थे। वर्ष 2022 में ला स्टूडेंट एसोसिएशन ने हाई कोर्ट जबलपुर में ऐसे कॉलेजों की सूची के साथ याचिका लगाई।
 
कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। इसके बाद 200 से अधिक कॉलेज बंद हो गए। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद दूसरे राज्यों के विद्यार्थी मप्र नहीं आ रहे। उल्टा, यहां के छात्र दूसरे राज्यों में नर्सिंग की पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। इस कारण सीटें नहीं भर पा रही हैं। नर्सिंग पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की सर्वाधिक संख्या बीएससी नर्सिंग और जीएनएम (डिप्लोमा) की होती हैं। वर्ष 2024 में सरकारी व निजी मिलाकर कुल 19,212 सीटों में से 3,030 यानी 16 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश हुए थे। वर्ष 2025 में 22,880 में से 2843 यानी 12 प्रतिशत में ही प्रवेश हुए हैं।

फिर कैसे मिलेगा अस्पतालों को नर्सिंग स्टाफ
प्रवेश कम होने से बड़ी चिंता यह है कि सरकारी और निजी अस्पतालों को कुशल नर्सिंग स्टाफ कैसे मिल पाएगा। अभी स्थिति यह है कि सरकारी कालेजों की ही बीएससी नर्सिंग की लगभग 150 सीटें रिक्त हैं। बड़ी जद्दोजहद के बाद सभी सरकारी कालेजों को मान्यता मिल पाई है। जिस तरह से नए निजी और सरकारी अस्पताल खुल रहे हैं, प्रतिवर्ष लगभग 10 हजार नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता है।

?s=32&d=mystery&r=g&forcedefault=1
News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button